ड्रिलिंग (Drilling)
यह एक कटिंग आपरेशन है जिसे मेटालिक और नॉन-मेटालिक मेटीरियल्स में गोल सुराख बनाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। सुराख बनाने के लिए एक कटिंग टूल का प्रयोग किया जाता है जिसे ड्रिल कहते है। ड्रिल को ड्रिलिंग मशीन पर बांध कर प्रयोग में लाया जाता है। ड्रिल के निर्नलिखित पार्ट्स होते हैं। – प्वाइंट, शैंक, टैंग, बॉडी, फ्लूट्स, लैंड/मार्जिन, बॉडी क्लीयरेंस और वैब।
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विभिन्न प्रकार के ड्रिल्स पाए जाते हैं –
फ्लैट ड्रिल एक सरल आकार का ड्रिल है जिसके कटिंग ऐज पर फ्लैट सेक्शन होता है। इसका अधिकतर प्रयोग पीतल के कार्यों और स्टेप ड्रिलिंग करने के लिए किया जाता है।
ट्विस्ट ड्रिल अधिकतर प्रयोग में लाया जाने वाला ड्रिल है। इसकी बनावट में एक सिलण्डिरिकल बॉडी होती है जिस पर स्पायरल फ्लूट्स कटे होते हैं। इसे हाई स्पीड स्टील या हाई कार्बन स्टील शैंक टेपर या पैरेलल होती है। 2.3 मिमी० व्यास तक के छोटे ड्रिल्स पर पैरेलल शैंक और बड़े साइज के ड्रिल्स पर टेपर शैंक होती है। टेपर शैंक ड्रिल्स को पकड़ने के लिए मोर्स टेपर स्लीव या सॉकेट का प्रयोग किया जाता है। बनाया जाता है। इसकी
सेंटर ड्रिल दो फ्लूट वाला एक स्ट्रेट शैंक ट्विस्ट ड्रिल है। जिसका प्रयोग तब किया जाता है जब शाफ्ट के सिरे पर सेंटर होल्स की ड्रिलिंग करनी होती है। आयल ट्यूब ड्रिल का प्रयोग गहराई वाले सुराखों की ड्रिलिंग करने के लिए करते हैं। इस पर एक ऑयल ट्यूब जो कि बॉडी पर पूरी लम्बाई पर स्पायरल में बनी होती है। जिससे कटिंग ऐज तक तेल को प्रत्यक्षतः पहुँचाया जा सकता है।
टेपर शैंक कोर ड्रिल पर 3 या 4 फ्लूट्स होते हैं। इसका प्रयोग कोर, पंच या ड्रिल किए हुए सुराखों को बड़ा करने
के लिए किया जाता है।